
अगर आज के यूथ की भाषा में बोलें तो नपना एक स्वाभिवक प्रक्रिया है....हर कोई कभी न कभी, कहीं न कहीं नपता जरूर है। सबका हक है भई...तो, लो जी कल तक हर समय गाहे-बगाहे टीवी पर कर..कर..करने वाले मोइली साहब तो बड़े भाग्यशाली निकले ..ऐसे ही थोड़े न उनकी पार्टी के लोग उनके खिलाफ बीज बोने में लगे थे...मैडम की असीम अनुकम्पा जो उनपर है...तो चुनाव चल ही रहा है..लेकिन नंबर ज्यादा होने के कारण सबसे पहले मोइली साहब ही नपे।
ऐसे तो यह इतिहास रहा है कि हर चुनाव के बाद कुछ लोग नपते जरूर हैं लेकिन ऐसी भी क्या तेजी कि आखिरी चरण का चुनाव सर पे है और पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख नप गये।
बहरहाल, इसबार के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के साथ ऐसी कई बातें खास थीं जो खटकीं...वीरप्पा मोइली साहब की बोलती बंद होना भी उन खास बातों में से एक है। अब कुछ तो लोग कहेंगे ही॥अजी, उनका काम ही जो कहना है...मसलन,कांग्रेस के मीडिया विभाग में बहुत सारी गड़बड़ियां थीं, उसमें ऐसे लोग थे जो बड़बोलेपन के शिकार थे और कुछ भी अनाप-शनाप बोलते रहते थे, वगैरह...वगैरह।
अब जरा सोचिए जब पार्टी का युवराज किसी बिहार के मुख्यमंत्री को अच्छा कह दिया तो वह अच्छा है न...अब आपके मंत्रीमंडल का कोई वरिष्ठ मंत्री आपको नहीं पसंद तो न सही...लेकिन मैडम (और अब तो सर भी) की आज्ञा के बगैर आप कुछ भी बोल देंगे, ये कोई सलीका थोड़े न है। इतने दिनों से राजनीति कर रहे हैं... (अब तो आप खुद भी वरिष्ठ हो गये हैं) और आपको यह भी नहीं पता कि राजनीति में कब किसके बारे में क्या कहना है...शर्म की बात है मोइली साहब!!!
आलोक सिंह "साहिल"