

देश के सबसे ताकतवर मुख्यमंत्री...अपेक्षाकृत बौने जांच दल के सामने पेश हो ही गए...जांच दल ने जीभरकर अपनी सालों की प्यास बुझाई...और घंटों हाल-चाल किए...एक-दो नहीं पूरे 9 घंटे तक हाल-चाल होता रहा...वह भी एक नहीं दो-दो सत्रों में....क्योंकि देश के सबसे उज्जवल प्रदेश के मुख्यमंत्री के पास रोज-रोज इतना वक्त थोड़े है कि वह रोज ऐसे आलतू-फालतू कामों के लिए समय निकालता फिरे.....
खैर, अब इससे एक बात तो साफ हो ही गई कि मोदी जी की क़ानून और संविधान में गहरी आस्था है...और साथ ही भारतीय संविधान में घोर विश्वास भी...तभी तो....वह एक अदने से जांच दल के सामने पेश होने में भी नहीं हिचकिचाए (अपने कद का ख्याल किए बिना)...क्योंकि SIT इतना ताकतवर आयोग नहीं कि उसके सामने पेश होना एकदम से मजबूरी ही हो...साथ ही भाजपा का भी एक ऐसी पार्टी होने का अहं बरकरार रहा, जो संविधान में सर्वाधिक आस्था रखती है...
बहरहाल, दूसरे चरण की पूछताछ के बाद जब रात के एक बजे करीब मोदी जी व्यापक हाल-चाल करके बाहर निकले तो काफी खुश और संतुष्ट दिखे...शायद मीटिंग सफल रही थी...और वैसे भी चाहे नानावटी हों या टाटा...या फिर अमिताभ ही क्यों न हो...आज तक रिकॉर्ड है, मोदी जी की मीटिंग कभी भी असफल नहीं हुई...अगर होती, तो गुजरात के अल्पसंख्यक आज वहीं थोड़े होते...और न ही वहां के बहुसंख्यक वैसी अवस्था में होते...
वैसे इस घटना से कई फायदे हुए...एक तरफ जहां कांग्रेस को इस घटना के बाद जनता के सामने भोकाल बनाने का मौका मिल गया...कि उसने आखिरकार मोदी को आठ सालों में पहली बार ही सही...किसी आयोग के सामने खड़ा तो कर ही दिया...उधर भाजपा में नया प्रशासनिक तंत्र बनने और फिर से अयोध्या मसले के उजागर होने के बाद कुछ ठोस चाहिए था...जो उसे मिल गया...बाकी काम तो उनके पढ़े-लिखे प्रवक्ता गण कर ही देंगे...सबका हित सध गया...
लेकिन कुछ लोगों का हित अभी बचा है...सहमे-सहमे और इंसानों की परछाईं तक से कांप जाने वाले कुछ जले-जलाए लोगों का इंतजार अभी भी बाकी है...जिनकी जिंदगी....उसी वक्त काली होनी शुरू हो गई थी, जिस दिन ट्रेन के कुछ डिब्बों और माचिस की कुछ तीलियों से निकली राख ने गुजरात को चमकाना शुरू कर दिया था...
इंतजार खत्म होगा..., कभी तो खत्म होगा...शायद तराजू लिए मूर्ति पर बंधी काली पट्टी एक दिन आंसुओं में भिंगकर उन जले हुए लोगों पर जमी कालिख पोतने के काम आएगी...और फिर शायद यह इंतजार हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा...या शायद तब तक के लिए, जब तक कोई दूसरा गुजरात जन्म न ले ले...
आलोक साहिल