इंडिया शायिनिंग...
इंडिया शयिनिंग,शयिनिंग इंडिया बहुत सुन रहे थे।सोंचें हम भी देखें।अजी! हम,इंडिया के एक सजग नागरिक हैं,हमारा तो कर्तव्य है कि हर शयिनिंग के विषय में जानें,पर कहीं नहीं दिखा,आप यकीं नहीं मानेंगे,इसी शयिनिंग को देखने के चक्कर में चश्मा तक लगा लिए पर यह प्रयास भी असफल।अलबत्ता,सेंसेक्स के पर लगते जरुर देखे।एक बात और हुई,तो क्या हुआ कि आज भी हमारे देश में तकरीबन ३५ करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करते हैं,पर हमारे इंडिया के ही मुकेश अम्बानी कुछ दिनों तक विश्व के सबसे आमिर आदमी बने रहे,पर तब भी संतोष नहीं हुआ।
तब तक बारी आ गई थी,महंगाई की। ठेलमठेल महंगाई बढ़ी।हमेशा की तरह हमारे जननायक कामरेड साथी और विपक्षी दलों ने हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया सरकार की नाक में ।तथाकथित तौर पर दम कर दिया(पता नही लोग नाक में कैसे दम कर लेते हैं?)।पर कुशलता देखिये स्वभावतः ठस वित्त मंत्री जी की ,एक सधा सा वक्तव्य जारी कर दिए। "ये महंगाई सिर्फ़ भारत की समस्या नहीं है,वरन पूरे विश्व की समस्या है।अमेरिकी सब प्राइम संकट का असर है।वैश्विक मार्केट में कच्चे तेल व अनाज के दामों में घोर तेजी के कारण महंगाई बढ़ी है।"अंत में थोड़ा सा छुआ भी दिए-"वैसे,सरकार प्रयास कर रही है।सरकार के पास कोई जादू की छड़ी तो है नहीं कि एकबार घुमाया और महंगाई गायब,महंगाई है तो जाते जाते ही जायेगी।"
इसी तरह की कुशल लफ्फाजी हमारे मनोहारी पीएम् मनमोहन जी ने भी की।ओजी! सब कहते हैं तो इनका कहना भी बनता है।
खैर,हटायिये।ये सब राजनितिक बातें हैं,हम शरीफों का राजनीति से क्या लेना-देना?पर एक बात तो तय है कि जब यही यूपीए विपक्ष में होगी तो ठीक वैसे ही हंगामा करेगी जैसे अभी के विपक्षी कर रहे हैं,और हाँ एक बात और कामन होगी कि तब भी हमारे सर्वप्रिय कामरेड सुर में सुर मिला रहे होंगे।
माफ़ कीजिएगा, विषयांतर हो गया,शुरू कहाँ से किए थे कहाँ पहुँच गए?
जी हाँ,तो हम बात कर रहे थे इंडिया शयिनिंग की तो बहुत धुन्धे पर कहीं नहीं दिखा।सच कहें तो हम हताश ही हो चले थे कि यार! सभी को नजर आता है,हम क्या किसी और दुनिया से आए हैं जो हमें नजर नहीं आती।अब तो समाज में चश्मा पहनकर चलने से भी गुरेज करने लगे कहीं कोई दुखती रग पे हाँथ न रख दे।तभी,नजर पड़ी कुछ ख़बरों पर।
आप भी देखिये- पिछले दिनों वैश्विक महंगाई पर बोलते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री कोंदालिजा राईस ने कहा-"भारत का मध्य वर्ग अब दोनों जून भर पेट खाने लगा है,इसीलिए विश्व मार्केट अनाज की कीमतें बढ़ी हैं।" अरे ई क्या अचम्भा? हम तो चौंक ही गए तब तक दूसरी ख़बर भी देख लिए-
अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने कहा-"भारत का मध्यवर्ग ३५ करोड़ से ज्यादा है जो कि कुल अमेरिकी आबादी के लगभग बराबर है।इनके जीवन शैली में प्रगति के कारण अनाज की खपत बढ़ी है।यही कारण है कि महंगाई ग्लोबल लेवल पर बढ़ रही है।"
ओह माय गाड!ओह माय गाड!
खुशी के मारे आंखो से बरबस आंसू निकल पड़े।
जब विश्व के सबसे शक्तिशाली देश का राष्ट्रपति हमारे प्रगति का लोहा मान रहा है तो सचमुच हम shine कर रहे हैं,अब मन में कोई संशय नही रह गया, और जहाँ तक बात है महंगाई,लूटपाट,बम धमाके,हत्या रेप.....कि तो ये तो हर जगह होता है,वैसे भी ये सब बड़े आदमियों के शगल हैं।
मैं,आत्मग्लानि और शर्म से मरा जा रहा था,अपना नाकाबिल चश्मा उतार कर तुरंत फेंका और मुंह छुपाये हुए चल दिया अपने एयर कन्दिशंद बेडरूम में सोने ताकि एसी की ठंडक में मैं ख़ुद भी महसूस कर सकूं,..........इंडिया'ज शयिनिंग॥
आलोक सिंह "साहिल"
मंगलवार, 3 जून 2008
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1 टिप्पणी:
सत्य वचन और बेहद सुंदर शायिनिंग,
शुभकामनाओं के साथ
अभिनव झा
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