सोमवार, 11 मई 2009
शर्म की बात है मोइली साहब!!!
अगर आज के यूथ की भाषा में बोलें तो नपना एक स्वाभिवक प्रक्रिया है....हर कोई कभी न कभी, कहीं न कहीं नपता जरूर है। सबका हक है भई...तो, लो जी कल तक हर समय गाहे-बगाहे टीवी पर कर..कर..करने वाले मोइली साहब तो बड़े भाग्यशाली निकले ..ऐसे ही थोड़े न उनकी पार्टी के लोग उनके खिलाफ बीज बोने में लगे थे...मैडम की असीम अनुकम्पा जो उनपर है...तो चुनाव चल ही रहा है..लेकिन नंबर ज्यादा होने के कारण सबसे पहले मोइली साहब ही नपे।
ऐसे तो यह इतिहास रहा है कि हर चुनाव के बाद कुछ लोग नपते जरूर हैं लेकिन ऐसी भी क्या तेजी कि आखिरी चरण का चुनाव सर पे है और पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख नप गये।
बहरहाल, इसबार के आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी के साथ ऐसी कई बातें खास थीं जो खटकीं...वीरप्पा मोइली साहब की बोलती बंद होना भी उन खास बातों में से एक है। अब कुछ तो लोग कहेंगे ही॥अजी, उनका काम ही जो कहना है...मसलन,कांग्रेस के मीडिया विभाग में बहुत सारी गड़बड़ियां थीं, उसमें ऐसे लोग थे जो बड़बोलेपन के शिकार थे और कुछ भी अनाप-शनाप बोलते रहते थे, वगैरह...वगैरह।
अब जरा सोचिए जब पार्टी का युवराज किसी बिहार के मुख्यमंत्री को अच्छा कह दिया तो वह अच्छा है न...अब आपके मंत्रीमंडल का कोई वरिष्ठ मंत्री आपको नहीं पसंद तो न सही...लेकिन मैडम (और अब तो सर भी) की आज्ञा के बगैर आप कुछ भी बोल देंगे, ये कोई सलीका थोड़े न है। इतने दिनों से राजनीति कर रहे हैं... (अब तो आप खुद भी वरिष्ठ हो गये हैं) और आपको यह भी नहीं पता कि राजनीति में कब किसके बारे में क्या कहना है...शर्म की बात है मोइली साहब!!!
आलोक सिंह "साहिल"
लेबल:
अपनी भाषा,
इस्लाम,
ऐय्याश,
क्षेत्रवाद,
दुनियादारी,
देश,
धमाके,
फिल्मी,
भाषावाद,
मानवाधिकार,
राजनीति,
व्यंग्य,
शोहरत,
संस्कृति,
सांप्रदायिकता,
सामाजिक सरोकार,
हराम
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
12 टिप्पणियां:
वैसे तो काँग्रेस बड़बोलों से भरी पड़ी है ...लेकिन इस बार बाज़ी हाथ से ना निकल जाए कहीं...इसलिए किसी ना किसी पर तो गाज़ गिरनी ही थी...इस बार मोइली साहब पर ही सही ....
चलो!...अच्छा है....
आईन्दा सोच-समझ के(जो मैडम जी को पसन्द होगा) बोलेंगे
सही कहा, बेचारे बहुत उछल उछल कर बोल रहे थे..गए तेल बेचने...
सोचे रहे होंगे कि
राजनीति के हमहुं
राजा हो गए
Apne sahi kaha. moily ji itne waqt se rajniti mae rehne ke baad v rajniti nahi jan paye. Isliye gaz tau unpe girni hi thi. dekhte hae ane wala chanavi parinam hame rajniti ke kaun kaun se rup se rubaru karayega.
मोइली की हमेशा बड़बोलेपन की आदत रही है दरअसल कर्नाटक में अप्रासंगिक होने का दर्द और कुंठा सालती होगी दिग्गी राजा याद नहीं है क्या?
अभी तो यहाँ कुछ भी नहीं हुआ ...अभी देखिये आगे आगे होता है क्या ?...१६ तारीख आने तो दीजिये ...बहुत कुछ बदलने वाला है और अभी बहुत कुछ देखने को मिलेगा ..yahan to poore ka poora aawa hi bigda hua hai aur logo ko bolne ke siwa koi kaam thode hi hai...behtareen vyangya...keep continue
kangress me bolane ka hak sirf gandhi's vanshaj ko hai. aur agar bolna jaruri hi hai to kuch aisa bolie ki madam/sir ko kadwa na lage........akhir apani party ki USP to nahi bhool sakte...
sahi he aalok ji....bad nasib hote he vo jo Gandhi vansh ko najar andaj karte he :) :)
gud satire alok ji
सबसे पहले आपको शुक्रिया की आपने फिर से आपने पाठको की मुरीद पुरी की । जहा तक राजनीति
की बात है तो यहा तो बड़े -बड़े नेता नप जाते है तो मोएली की क्या बिसात .वो है तो मैडम के पयादे ही न ।
देखिये न इस चुनाब के रिजल्ट के बाद तो जहा वाम दल नपे वाही पासवानजी ,लालूजी और कुछ हद तक मायावती भी फिर बीजेपी भी । लेकिन यहा फर्क है,इनलोगों के बड़बोलेपन को जनता ने अपने दरबार में नाप दिया
आपने सही कहा की इन कथित बड़े नेताओ को तो बोलने आना ही चाहिए ।
ना घर में ना घाट में
पट्ठे टूटी खाट में
अरे आलोकजी नमस्ते| हमने आपका कमेन्ट पडता और सोचा था यह कौन है|| थो सोचते सोचते हम आपके ब्लॉग पर पहुँच गए|| आपका ब्लॉग सच में अनोका है|| जिसकी आपने हमारे ब्लॉग में देखा है की हम दक्षिण के लोग है थो हमें उतनी हिंदी का परिपूर्ण अर्थ नहीं समाज आता || पर पूरा पड़ने के बाद हमें लगा आपकी लिकावत में कुछ थो है जो इतने लोगो को खिंच ने की प्रयास की है|| हमें अच्छे लिखने वाले स्पूर्थी है|| जिस भाषा में भी हो हमें अच्छा लगता है|| आपका लिखावट बरक़रार रखे|| धन्यवाद ||
एक टिप्पणी भेजें