रविवार, 1 जून 2008

सियासत के कुत्ते......
हमारा एक बड़ा प्यारा सा पड़ोसी है,यूं कहें कि भाई ही है,जो पाक साफ टॉप इतना है कि नाम ही है पाकिस्तान.
बेचारी वहाँ की जनता ने न जाने किस किस जन्म में और कितने कितने पुन्य किए कि उन्हें वहाँ पैदा होने या वहाँ रहने का सुअवसर मिला(किसी को भी उनके भाग्य से रश्क हो सकता है।)।इस देश का सबसे बड़ा सौभाग्य यह कि आजादी के ६० सालो बाद भी वहाँ लोकतंत्र कागज से बाहर आने की हिम्मत नहीं जुटा सका और वहाँ छाये रहे तो तथाकथित सुधारवादी विचारों के मुखिया।
पिछले ८-९ सालों से वहाँ कुछ ऐसा ही नजर चल रहा था,अभी हाल ही में जैसे तैसे तमाम तिकदम करके वहाँ एक सरकार बनी,तात्कालीन पाकिस्तानी राजनीति में भ्रष्टाचार के सबसे अधिक झूठे आरोपों से घिरे आफिस अली जरदारी और दूध के जले(दूध के धुले नहीं),नवाज शरीफ जैसे दो महान शख्सियतों के वैचारिक गठजोड़ से।
मित्रों,दुनिया का रंग भी कितना निराला,यहाँ सबका अपना टशन है,जरदारी का टशन था कि किसी तरह सत्ता पर काबिज होकर कुछ माल मुद्रा बनाया जाय(अरे भाई, इतने दिन जेल में चक्की पीसने का कुछ मुआवाज तो मिलना ही चाहिए),तो नवाज शरीफ का टशन कि बर्खास्त जजों को लाया जाय और मुशर्रफ को हटाया जाय। आपने वाली बात तो सुनी ही होगी...
"सियासत के ये कुत्ते हैं,न तेरे हैं न मेरे हैं"
यहाँ भी वही कहावत चरितार्थ हो गई।
बाजी लग गई जरदारी के हाँथ,पहली बात तो ये कि उनकी मरहम बेगम बेनजीर भुट्टो अमेरिका की राजदूत बनकर पाकिस्तान लौटी थी,अब उनके जाने के बाद किसी को तो राजदूत बनना ही था तो जर्दारी ने भुना लिया यह मौका,वैसे भी प्रिविलेज तो मिलना ही था। उधर अंदर ही अंदर मुशर्रफ से भी चाय पानी वाला हिसाब किताब फिट हो गया तो अब डर काहे का? दिखा दिए नवाज शरीफ को ठेंगा।बेचारे नवाज करें तो क्या? "हम थे जिनके सहारे,वो रहे न हमारे।" सो,शुरू कर दिया पढ़ना नमाज।अल्लाहो अकबर अल्लाह.....
शायद खुदा उनकी मदद करे!
आमीन

आलोक सिंह "साहिल"

4 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बहुत ही धाँसू लिखा है,ये सियासी किसी के सगे नही होते.गजब के अंदाज में लिखा गया व्यंग.

बेनामी ने कहा…

jnab bas maza aa gaya
aur kuchh nahi kahna hai aapse
www.scam24inhindi.blogspot.com

तपन शर्मा Tapan Sharma ने कहा…

आलोक भाई,
आपका व्यंग्य करने का तरीका पसंद आया...
कुछ बात कहना चाहूँगा.. आपने पाकिस्तान की बात करी..पर भारत में भी ये किस्से आम हैं...मैं तो ये कहूँगा कि सीखा हमसे है और दो कदम आगे बढ़ गया...

बालकिशन ने कहा…

मारक व्यंग्य लिखा है आपने.
पाकिस्तान के हालात का सही जायजा लिया.
बेहद उम्दा लेखन!